कल खुशी के दिने थे, आज वहां रोने वालों का तांता लगा है। क्योंकि किसी ने कोई अपना खोया है। कईयों के घर मातम छाया है। जिंदगी छिनने के बाद मातम ही तो मनाया जाता है। आतंकियों की करतूत ने पल भर में लोगों को कभी न खत्म होने वाला दर्द दे दिया। निरीह लोगों को मारना कायराना कृत्य नहीं तो और क्या है?
जिन्होंने अपनों को खोया है वे टूट चुके हैं।
कुछ लोगों ने जिंदगियां तबाह करने का ठेका लिया हुआ है। वे खौफ का खेल बखूबी जानते हैं। उनका मकसद दहशत फैलाना है। मरते और दर्द से कराहते लोगों से उनका कोई लेना-देना नहीं, वे तो लाशों के ढेर पर जश्न मनाने वालों में से हैं। उन्हें हम हंसते हुये, शांति में रहते अच्छे नहीं लगते। वे चाहते हैं हम भी उनकी तरह एक बर्बाद और टूटे-फूटे मुल्क के बाशिंदों की तरह जियें। हमारी धरती को लाल करने की कोशिश में लगे रहते हैं ये दहशतगर्द।
-Harminder Singh