भारत रत्न के लिए पिछले दिनों बड़ा हंगामा हुआ। मीडिया से लेकर नेताओं तक ने अपने-अपने तरीके से भारत-रत्न दिलाने की मांग कर डाली। चर्चा यह भी रही कि भारत सरकार ने पांच मेडल का आॅर्डर रिजर्व बैंक की टकसाल को दे दिया है। उस बात पर वैंकेया नायडू ने यह कहकर विराम लगा दिया कि सरकार ने अभी तक इस बारे में सोचा नहीं है।
भारत रत्न के लिए जिन नामों की चर्चा चली, चल रही है और आगे भी चलेगी, उनमें मुख्य हैं:
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भारत रत्न के लिए जिन नामों की चर्चा चली, चल रही है और आगे भी चलेगी, उनमें मुख्य हैं:
- अटल बिहारी वाजपेयी
- सुभाष चन्द्र बोस
- कांशीराम
- मेजर ध्यानचन्द
- मदन मोहन मालवीय
इन पांच नामों के अलावा भी लोग, नेता और मीडिया अपनी ओर से नाम सुझा रहे थे।
भगत सिंह को क्यों भूल गये?
सरदार भगत सिंह को लोग भूल गये। उस देशभक्त को भूल गये जो हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गया था। भूल इसलिए गये क्योंकि वह देश के लिए शहीद हुआ था। भूल इसलिए भी गये क्योंकि वह कोई नेता या किसी पार्टी से संबंधित व्यक्ति नहीं था। वो अलग बात है कि बाद में कम्यूनिस्टों ने भगत सिंह को अपना कहना शुरु कर दिया जबकि भगत देश का बेटा था।
ऐसा होता है जब आप देश के लिए कुछ कर गुजरते हैं। इतिहास गवाह है कि लोग उन्हें भुला देते हैं जो असल में देशभक्त थे।
भगत सिंह को भारत रत्न देने की मांग किसी पार्टी ने नहीं की। भगत सिंह का जन्म दिन और बलिदान दिवस मनाने के लिए लोग आगे नहीं आते। उन जीवित नेताओं को बहादुर बताकर, देशभक्त बताकर और बेतुकी बातें बनाकर सलाम करने के लिए देश के लोग आगे आते हैं।
भगत सिंह की तुलना उन नामों से नहीं की जा सकती जो पहले दिये जा चुके हैं। वे उनसे बहुत आगे हैं।
भगत सिंह को कोई मलाल नहीं होगा चाहें उन्हें भारत रत्न मिले या न मिले क्योंकि वे देश के लिए शहीद हुए हैं।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
भगत सिंह को क्यों भूल गये?
सरदार भगत सिंह को लोग भूल गये। उस देशभक्त को भूल गये जो हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गया था। भूल इसलिए गये क्योंकि वह देश के लिए शहीद हुआ था। भूल इसलिए भी गये क्योंकि वह कोई नेता या किसी पार्टी से संबंधित व्यक्ति नहीं था। वो अलग बात है कि बाद में कम्यूनिस्टों ने भगत सिंह को अपना कहना शुरु कर दिया जबकि भगत देश का बेटा था।
ऐसा होता है जब आप देश के लिए कुछ कर गुजरते हैं। इतिहास गवाह है कि लोग उन्हें भुला देते हैं जो असल में देशभक्त थे।
भगत सिंह को भारत रत्न देने की मांग किसी पार्टी ने नहीं की। भगत सिंह का जन्म दिन और बलिदान दिवस मनाने के लिए लोग आगे नहीं आते। उन जीवित नेताओं को बहादुर बताकर, देशभक्त बताकर और बेतुकी बातें बनाकर सलाम करने के लिए देश के लोग आगे आते हैं।
भगत सिंह की तुलना उन नामों से नहीं की जा सकती जो पहले दिये जा चुके हैं। वे उनसे बहुत आगे हैं।
भगत सिंह को कोई मलाल नहीं होगा चाहें उन्हें भारत रत्न मिले या न मिले क्योंकि वे देश के लिए शहीद हुए हैं।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.