जिंदगी की राखी बांध बहन ने कहा अलविदा भैया


बहन हो तो ऐसी। उसने अपनी जिंदगी की परवाह नहीं की और भाई के रक्षाबंधन से पहले ही जिंदगी की राखी बांध दी। गजरौला के अल्लीपुर में हर किसी की आंख नम है। बहन के बलिदान और मौत से संघर्ष पर दिल पसीज जाता है। 47 दिन की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आखिर बहन ने हार मान ली। रक्षाबंधन से चंद दिन पहले उसने दम तोड़ दिया।

dharmvir singh nagar
अल्लीपुर मोहल्ला की रहने वाली मानवती के भाई धर्मवीर सिंह की पीलिया के कारण तबीयत बिगड़ गयी थी। चिकित्सकों ने स्थिति नाजुक होती देख लीवर ट्रांसप्लांट की बात कही। भाई के लिए बहन हर कुर्बानी के लिये तैयार थी। मानवती के लिए यह छोटी बात थी। उसने लीवर प्रत्यारोपण के लिए हामी भर दी। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में मानवती के लीवर का 40 प्रतिशत हिस्सा धर्मवीर के शरीर में प्रत्योरोपित कर दिया गया। प्रत्यारोपण सफल रहा।

चार दिन बाद मानवती की हालत बिगड़ गयी। उसके पैनक्रियाज में सूजन आ गयी थी। उसे परिजनों ने अस्पताल में भर्ती करा दिया। लेकिन मानवती की हालत दिन ब दिन बिगड़ती रही। इलाज का उसपर असर नहीं हुआ। चिकित्सकों ने उसे लाइलाज घोषित कर दिया।

मानवती जिंदगी और मौत की जंग अपनों के सहारे लड़ती रही। परिजनों को और उसे भी भरोसा था कि शायद कोई चमत्कार हो जाये। आखिर उसने कल इस दुनिया को अलविदा कह दिया। बताया जाता है कि आखिरी वक्त में भी उसके चेहरे पर मुस्कान थी।

वह रक्षाबंधन पर भाई को जिंदगी की राखी देकर खुद इस दुनिया से चली गयी। 

-हरमिन्दर सिंह चाहल.

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