व्यस्तता और हमारी बहानेबाजी

time is useful



बहुत दिनों से व्यस्तता हावी थी। समझ नहीं आता हम उसे हावी क्यों होने देते हैं। किसी ने समझाया कि यह ऐसे ही हो जाता है। जबकि दूसरा बोला-‘‘आप स्वयं को समझाइये, मसला अपने आप सुलझ जायेगा।’’

तीसरे का जबाव था -‘‘व्यस्तता को हम स्वयं ऐसा करने देते हैं कि वह हावी हो जाये। इस हिसाब से हर व्यक्ति व्यस्त ही रहेगा। टाइम-टेबल से काम कीजिये, चीजें खुद बदलेंगी। समय हर किसी के पास होता है। इसे कभी मत भूलिये। सबसे बड़ी बात, समय निकल ही आता है। काम शुरु कीजिये, समय नहीं कहेगा कि वह भी ‘व्यस्त’ है।’

तीनों की बात को मैंने ध्यान से सुना।

मुझे एक बात समझ आ रही है। वह यह कि अनुशासन समय के लिए सबसे जरुरी है। समय नहीं है, समय कम था, या समय बर्बाद हो गया -ऐसा कहने से पहले हम यह जान लें कि समय को बचाया कैसे जाये?

कुछ लोग बहानेबाजी भी करते हैं। वे काम करना चाहते नहीं या उन्हें कामचोर कह सकते हैं। एक कंपनी के कुछ कर्मचारियों को मैंने करीब से देखा है। एक व्यक्ति ऐसा था जो व्यस्तता का मुखौटा लगाये हुआ था। साफ तौर पर कहा जाये तो वह व्यस्त होने का दिखावा करता था। आठ घंटे की नौकरी में वह 10 या बारह घंटे ऑफिस में रहता था।


मैंने उसके काम को परखा तो पाया कि वह तीन या चार घंटे में अपना कार्य निपटा सकता है। लेकिन उसे आदत थी कि वह आराम से काम करता रहता ताकि यह लगे कि वह बहुत काम करता है। अब यह मालूम नहीं कि वह ऐसा करके क्या साबित करना चाहता था। वहां सभी जानते थे कि किसी के पास चार-पांच घंटे से अधिक का काम नहीं है। वह कुछ ज्यादा ही व्यस्त होने का दावा करता था।

बेचारा आज भी उसी कंपनी में है। तरक्की नहीं हुई। लेकिन वह दिखावा करने से बाज नहीं आता।

अब मैं कह सकता हूं कि मेरे पास समय की कोई कमी नहीं। किसी के पास समय की कमी नहीं। समय हर किसी के पास होता है। व्यस्त होते हुए भी कोई काम रुकता नहीं।
अनुशासन और समय का मेल अद्भुत होना चाहिए। तभी आप जिंदगी का असली आंनद ले पायेंगे। निकम्मे बनकर जीने से फायदा भी तो नहीं!

-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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