नारी स्वतंत्रता और अपराध



woman crime in india

साधारण दृष्टि से देखा जाय तो दोनों में कोई समानता नजर नहीं आती पर अधिक ध्यान से सोचने में जवाब सकारात्मक ही है। जैसे-जैसे नारी स्वतंत्र हुई है और घर के सुरक्षापूर्ण माहौल से बाहर कदम बढ़ाया है उसे तमाम चुनौतियों से निपटना पड़ा चाहें वो शिक्षा के लिये स्कूल या कालिज या काम के लिए ऑफिस अथवा अन्य क्षेत्र पर, ये प्रसन्नता की बात है कि अपनी मेहनत, मेधा और जुझारू स्वाभाव से उसने न केवल अपना विशिष्ट स्थान बनाया अपितु नयी ऊंचाईयाँ भी छुईं।

यहाँ तक तो ठीक था पर अब उसे दोहरी मार घर और बाहर झेलनी पड़ी। बच्चे उत्पन्न करने से लेकर उनकी देखभाल, शिक्षा, होमवर्क। इसके अतिरिक्त रसोई, बुजुर्ग सास-ससुर, पति के भाई-बहन की जिम्मेदारी भी उसी पर आन पड़ी।

जैसे इतना काफी न था। सुन्दर काया से उस पर कुदृष्टि भी पड़ी। हर जगह उसे सावधान और सशंकित रहना पड़ा। काम लोलुप नजरें, गंदे रिमार्क, शोहदों की छेड़छाड़। जरा चूके और अपराध की चपेट में आ गये।

इतनी बुरी हालत तब है जब देश में सशक्त कानून हैं। महिला पुलिस, महिला थाना सभी कुछ है और मात्र एक एफ.आई.आर हो जाने से बड़े से बड़े आदमी पर कार्यवाही तुरंत होती है। पर चिंता की बात है कि इतना सब होने के वावजूद नारियों के विरूद्ध अपराध बहुत तेजी से बढ़े हैं। जिसमें हत्या, बलात्कार, अपहरण, घरेलू हिंसा, मारपीट के मामले सर्वाधिक हैं। दहेज हत्या एक समस्या बन चुकी है।

हमारी नारियाँ फिर इन अपराधों से कैसे बचेंगी और क्या किया जाना चाहिये।

मुझे लगता है नारी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और पर्याप्त शिक्षित होना पड़ेगा।

आत्मरक्षा में निपुण होना होगा।

बहुधा नारी ही नारी की दुश्मन होती है। जैसे घरों में सास, ननद आदि जो स्वयं नारी होते हुये बहू को सताती हैं। इस मामले में भी सोच में बदलाव जरूरी है।

बात यहीं समाप्त नहीं होती। समाज का यह रवैय्या कि हम क्यों बीच में पड़े अपराधों को बढावा देता है। वास्तव में हमें हस्तक्षेप करना ही चाहिये। याद रखिये आप की बहन-बेटियाँ भी किसी के पड़ोस में  रहती हैं और आप ये उम्मीद रखते हैं कि वे लोग मुसीबत आने पर आप की बहन-बेटी की रक्षा करें तो आप भी ऐसा ही करें। यानि जन जागरण जरूरी है।

शुरुआत आज से ही करें। यदि आप के पड़ोस में किसी महिला या बच्ची पर जुल्म हो रहा है तो उसका प्रतिकार अवश्य करें।

यह एक अच्छी शुरुआत होगी।

-अखिलेश चन्द श्रीवास्तव.


पिछली पोस्ट : मेरी डायरी : ठंड, विमान और पीके