नारी के अहसान

naari ke ehsaan


नारी के अरमानों से मत खेलो रे इंसान,
नारी बिगड़ गयी तो तुझे कर देगी परेशान,

नारी ने जन्मा तुझे, नारी ने दूध पिलाया,
सोच ज़रा नारी के तुम पर कितने अहसान,

गीले में खुद सोई, सूखे में तुझे सुलाया,
तेरे खातिर इस देवी ने भोगे कष्ट महान,

तेरे दुख-दर्द में शामिल रही हमेशा नारी,
तेरी अर्धांगिनी बनकर ये बारे तुझ पर जान,

नारी बिन राजमहल भी सूना-सा जंचे है,
‘अमर’ नारी से घर लगता है स्वर्ग समान।

-अमर सिंह गजरौलवी