अंतिम सांस तक जिंदगी साथ निभायेगी
सोच रहा जिंदगी कैसी है,
क्या उड़ने वाले बादलों जैसी है,
झोंका हवा का हो सकता है,
आंधी-तूफान में कोई भी खो सकता है,
अपनापन समेटे हुए लोग मिलेंगे,
अनगिनत चेहरे कितना कुछ कहेंगे,
अधूरा नहीं कोई ख्वाब यहां है,
खुलकर जीने का जहां है,
उम्र पड़ाव को पार करती दिख जायेगी,
अंतिम सांस तक जिंदगी साथ निभायेगी।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
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