कदम बढ़ते रहें तो ही जिंदगी चलती है

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हर कोई उड़ना चाहता है। सभी को लगता है, जैसे जिंदगी वे ऐसे बितायेंगे या उन्हें वह सब हासिल होगा, जो उन्होंने कभी चाहा था या चाहते हैं। लेकिन जिंदगी भी कमाल की है, कुछ के पंख आसमान में इतने फैल जाते हैं कि उनके लिए जिंदगी छोटी पड़ जाती है, जबकि कुछ पंख फैलाने में ही जिंदगी बिता देते हैं।

मैंने बचपन में ढेरों सपने देखे। चाहता था कि वे एक दिन पूरे होंगे। लेकिन कहते हैं न, कि जिंदगी अभी खत्म नहीं हुई। हां, वाकई जिदंगी अभी खत्म नहीं हुई। सपने आज भी रोज सज रहे हैं मेरे मन में।

मैं शब्दों के साथ जीना चाहता था। मैं जी रहा हूं। मैंने उन लोगों से सीखा जो मेरे शिक्षक रहे। मेरे पिता जो स्वयं ऐसे क्षेत्र से जुड़े हैं जहां शब्दों की कीमत है, वे आज भी मुझे सिखा रहे हैं। मैंने जबसे कलम पकड़ना सीखा है, तबसे सीख रहा हूं। मां ने तख्ती पर अक्षरों को उकेरना सिखाया। स्कूल गया तो वहां शिक्षक थे संभालने के लिए। बाद में और लोग मिले, दोस्त मिले, मेरा सीखना जारी रहा। आज भी वह सिलसिला जारी है।

एक दशक से ज्यादा समय हो गया, मैंने पत्रकारिता और लेखन कार्य को जिया है। शब्दों को महसूस किया है। ऐसा लगता है जैसे मैं उनमें खोया हुआ हूं। सपना था कि किसी दिन कोई उपन्यास लिखूंगा, वह इच्छा जल्द पूरी होने जा रही है। उसके पीछे मेरा परिवार है और वे सब जो मुझे समय-समय पर मिलते गये और मेरा हौंसला बढ़ाते गये।

कई बार मुझे लगा कि बहुत हुआ, तो वे मेरे अपने ही थे जो मुझसे कहते कि हार मानने से जिंदगी नहीं बनती, बल्कि कोशिश करने से चीजें सुधरती हैं। मैं आगे बढ़ रहा हूं और हर कदम सीख रहा हूं ताकि आगे और भी अच्छा हो।

मैंने उनसे कुछ अहम बातें सीखीं जो इस प्रकार हैं:
1. जिंदगी सपने दिखाती है, देखने चाहिएं। जब सपने देखे गये हैं तो यह पक्का यकीन करना सीखें कि वे एक दिन पूरे भी होंगे।
2. सीखना उम्र भर जारी रहता है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सांस की तरह सीख भी चलती है।
3. सबसे पहले शिक्षक माता-पिता होते हैं जो अपने अनुभव के मुताबिक हमें भविष्य में आने वाली कठिनाइओं और खतरों से बचाते हैं। वे पहले उन राहों से गुजर चुके हैं, इसलिए हमें कम बाधायें पार करनी होंगी।
4. कदम बढ़ते रहें तो ही जिंदगी चलती हुई नजर आती है, वरना वह हमें ऐसे परिवेश में लाकर छोड़ देती है, जब हम ठहर जाते हैं। ऐसा होने से बचने के लिए चलते रहना चाहिए।


हर किसी के लिए वह सोच अहम होती है जब वह भविष्य की योजनायें बनाता है। मैंने कई योजनायें बनायीं जिनमें कुछ पूरी हुईं, कुछ होना बाकी हैं। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ कभी न हों, लेकिन यह जरुर भरोसा हुआ कि योजनाओं को यूं नहीं छोड़ना चाहिए या सोचना छोड़ना नहीं चाहिएं।

-हरमिन्दर सिंह.


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