जिंदगी की आस में जिंदगी कट रही

कहानियां ज़िन्दगी से शुरू होकर ज़िन्दगी पर ख़त्म होती हैं.
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खुशी के तारों की छांव में जिंदगी दो पल बदल रही,
हवाओं की तरह मचलते हुए सितार सी बह रही,

शांत, हिलौरे मारती हुई भी,
उम्र की दास्तान जो सच है,

अपने में सिमटी हुई और मुस्कान से भर रही,
झुर्रियों का रौब नहीं, बेहिचक बढ़ रही,

सुनहरी यादों को पुकार कर,
मीठी बोली बोलकर,

उतर रही कोई अनोखी वजह भर रही,
आसमान से डोली सजी निकल रही,

कसक बाकी, मन चुभ रहा,
बूढ़ी आंखों से देख कर,

उम्रदराजों की भावना की गठरी पिघल रही,
जिंदगी की आस में जिंदगी कट रही।

-हरमिंदर सिंह.

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