लफ्ज़ जो ज़िंदा तस्वीर हैं

लफ्ज़ ज़िंदगी का हिस्सा हैं. लफ्ज़ बहता नीर हैं और रौशनी की परतों पर भी तैर रहे हैं.
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लफ़्ज जो बहता नीर हैं,
लफ़्ज जो ज़िंदा तस्वीर हैं,
लफ़्ज जो किस्सा हैं,
लफ़्ज जो ज़िंदगी का हिस्सा हैं,
उन्हें किताबों में जमने दिया,
वे उगे, उन्हें थमने दिया,
विचारों में गोता लगाने दो,
खुद को खुद से भुलाने दो,
याद नहीं, पर यह याद,
कि लफ़्ज ज़िंदा रहेंगे जाने के बाद,
क्योंकि....
लफ़्ज जो बहता नीर हैं,
लफ़्ज जो ज़िंदा तस्वीर हैं,

लफ़्ज दहाड़ हैं, दहाड़ेंगे
लफ़्ज पहाड़ हैं, अड़ेंगे
लफ़्ज दास्तान हैं, बताएंगे
लफ़्ज गीत हैं, गुनगुनाएंगे
उन्हें जगकर तपना है,
हर पल उनका अपना है,
खुद को थकने दो,
धूप में जलने दो,
याद नहीं, पर यह याद,
कि लफ़्ज ज़िंदा रहेंगे जाने के बाद,
क्योंकि....
लफ़्ज जो बहता नीर हैं,
लफ़्ज जो ज़िंदा तस्वीर हैं।

-हरमिंदर सिंह.

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