ज़िंदगी चुप्पी के साथ इश्क़ करती है

ज़िंदगी चुप्पी के साथ इश्क़ करती है
उम्रदराज़ी से खुशियाँ सिमट रहीं, जद्दोजहद खूब होती है...
ज़िंदगी चुप्पी के साथ इश्क़ करती है
अंदाज़ जो भी हँसती है
शहर उसे गाँव-सा लगता है
हर बार गिरगिट-सा रंग बदलती है।

उम्रदराज़ी से खुशियाँ सिमट रहीं
जद्दोजहद खूब होती है
अकेलेपन की गुँजाइश नहीं
तन्हाई साथ सोती है।

सिलसिला साँस थमने का
रोज़ सुनायी देने लगा
घड़ी करीब मेरी भी समझिए
यह अहसास अब होने लगा।

~हरमिन्दर सिंह चहल.