मोगली की डायरी



मोगली को दूरदर्शन पर देखने को मैं और मेरा भाई बेताब रहते थे। पड़ोस के कई दोस्त भी उस रोमांच में शरीक हो जाते थे। मनू और विनू तो पागल थे।

टीवी देखते हुए अकसर सीढ़ियां चढ़ते हुए विनू फिसल जाता था। पता नहीं वह ऐन वक्त पर ही क्यों पहुंचता था। इसलिए उसे घर से तेज दौड़कर आना पड़ता था।

गुलजार का लिखा शीर्षक गीत ‘जंगल-जंगल बात चली है...’ वह अकसर गुनगुनाता रहता था। इस कारण क्लास में वह एक बार टीचर का थप्पड़ भी खा चुका था। उसकी जुर्रत देखकर हम हैरान थे क्योंकि वह पिटने के बाद भी धीमे-धीमे गीत के बोल गुनगुना रहा था। टीचर ने उसकी शिकायत उसके माता-पिता से की थी। बाद में भी जब विनू को मौका मिलता, क्लास में नाच-नाच कर गीत गाने लगता।

मनू चित्र बहुत अच्छे बनाता था। उसकी एक डायरी थी जिसमें उसने पूरा जंगल बनाया था। हर पन्ने पर कुछ न कुछ -किसी पर मोगली, किसी पर बगीरा, बलू और आखिरी पन्ने पर लीला। डायरी के पहले पन्ने पर साफ लिखा था -‘मोगली की डायरी।’

वैसे उसे लीला से चिढ़ थी। मगर जब जंगल बुक वाली डायरी बनाने की सोची गयी थी, तब पेंसिल से लीला की श्वेत-श्याम तस्वीर उकेरना मजबूरी थी। मुझे वह डायरी उसकी बड़ी बहन शीला ने एक दिन चुपके से दिखा दी थी। तब लीला की एक लट को देखकर हम इतने हंसे कि पीछे खड़े मनू का ध्यान ही नहीं रहा। दरअसल बालों से जुदा हो रही उस लट को ऐसे बनाया गया था कि वह लीला के कान में किसी ईयर-फोन की तरह जा रही थी।

मनू तब हमपर गुस्सा नहीं हुआ। उसने बताया कि बनाते समय उसने अपनी भड़ास निकाली थी, तब हंसी आने का सवाल नहीं था। अब जब हम हंसे तो वह खुद को रोक नहीं पाया।

बाद में उसने महसूस किया कि चित्र असल में शानदार बना था और वह दूसरों को हंसाता भी था।

जब भी मुझे वह मिलता, मैं उसकी वह मोगली की डायरी जरुर देखता था।

उसपर नीले रंग की जिल्द चढ़ी थी जिसे अलमारी में हिफाजत से रखा गया था। वह एक तरह से हमारे लिए ‘मास्टरपीस’ की तरह था। खासकर मनू के लिए वह जान से प्यारी चीज थी।

उसका तीन साल का बेटा खूब उछलकूद करता। मनू उसे प्यार से मोगली बुलाता था।

मनू के शहर छोड़कर जाने के बाद मोगली की यादें धुंधली-सी पड़ गयीं।

आज भी मैं मुस्करा देता हूं यह सोचते हुए कि यादें जब हमसे जुड़कर चलती हैं, तो कितना सुकून पहुंचाती हैं। एक याद वह भी होती है जब हम पुराने दिनों की कहानियों को खुद में समेटने-देखने की कोशिश करते हैं और महसूस करते हैं कि हम भी वही हैं।

“I’m blogging about #MyMowgliMemory at BlogAdda.”

-हरमिन्दर सिंह.

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