हासिल होता है सब जो दिल से चाहो


Shubhangi.......

शुभी ने बताया कि तुम पहले से ज्यादा पढ़ती हो। यह बहुत अच्छा है। शायद कुछ लोगों के बाद सबसे अच्छी तरह शुभी तुम्हें जानती है। उस दिन जब उसके अंगूठे में चोट लग गयी थी तो तुम्हारे आंसू निकलते-निकलते बचे, लेकिन शुभी तब भी अपने हंसमुख चेहरे के साथ किताबें बगल में दबाये खड़ी थी। तुम दूसरों की फिक्र करती हो और तुम्हारे मम्मी-पापा तुम्हारी। .....और तुम्हारा भाई परसी जैसा दिखता है, वैसा नहीं है। वह मामूली नादानी करता है बस.... शायद थोड़ी शरारत के लिए.... बचपना है उसमें अभी।

जानती हो, तुम्हारी मम्मी को तुम्हारी बहुत चिंता रहती है। हम कितने भी बड़े क्यों न हो जाएं, माओं को लगता है उनके बच्चे अभी छोटे ही हैं, .....वही दो-चार साल के। वे बाहर से कई बार सख्त दिख सकती हैं, लेकिन मां से अधिक बेटी को दूसरा कोई उतना समझ नहीं सकता।

रही बात उम्मीदों की, तो हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे ऊचाईयां छुएं और क्या उनका इतना भी हक नहीं बनता कि वे अपने बेटा या बेटी से कुछ उम्मीद कर सकें। एक बात कभी मत भूलना कि आजतक हम उनसे लेते आये हैं, अब देना भी सीखें।

तुम्हारी लाइफ की A.B.C.D की दरअसल शुरुआत हो चुकी। चीजों के बदलाव को जिस तरह तुमने अबतक महसूस किया था, उसमें कोई जोड़-घटाव नहीं था। जबकि जो बदलाव अब आयेंगे वे मायने रखेंगे क्योंकि 10वीं तब लाइफ kindergarten थी।

सीरीयस तुम पहले भी थीं, आज भी हो, इसे कभी खोना भी मत। मैं जानता हूं तुम चीजों को बारीकी से पढ़ती हो और लोगों को भी और हर उस चीज को जिससे तुम्हारा लेना-देना है। ......और यही वजह है कि दूसरों के लिए तुम उदाहरण हो। खासकर कई लोग तुमसे प्रभावित हैं और हमेशा रहेंगे -यह तुम अच्छी तरह जानती हो।

तुम सेंसेटिव और इमोशनल हो, यह तुम्हें पता है। यह अपने में ठीक तो है, मगर कई बार इनकी अधिकता हमारे लिए परेशानी खड़ी कर देती है। इसके लिए तुम्हें मेहनत करनी होगी। हां, अनमोल से इसके बारे में कुछ सीख सकती हो।

Indira Gandhi once wrote : “ The world is a cruel place for the best of us and especially for the SENSITIVE.”

डिसीजन-मेकिंग में अनमोल गंभीर है, ठीक अपने पापा की तरह। ओवर-एक्साइटमेंट में वह समय नहीं गंवाता। असल में स्पर्श को शुभी का भाई होना चाहिए था और अनमोल को तुम्हारा।

मानसी के बारे में जरुर कुछ कहना चाहूंगा। वह तुम्हारी FORTUNE-FRIEND है। उसने एक अलग किस्म की दुनिया बना रखी है जिसमें वह अकेली रहती है। और उसे बर्दाश्त नहीं कि कोई उसकी दुनिया में दखल दे। रही बात तुम्हारी तो तुम उसकी दोस्त जरुर हो लेकिन तुम्हें उसकी दुनिया में दखल करने की कभी जरुरत महसूस नहीं हुई। यही वजह रही कि तुम्हारी दोस्ती इतने वक्त तक टिकी है।

हम जिस चीज को दिल से चाहते हैं, वह हमें लाइफ में जरुर हासिल हो जाती है। If we want something with our heart then the entire universe help us to get it. यह जरुरी नहीं कि वह उसी रुप में मिले जैसा हमने सोचा था, लेकिन इतना तय है कि वह हमें मिलती जरुर है। When you want to achieve something, keep eyes open, concentrate, and make sure you know exactly what it is you want. No one can hit their target with their eyes closed.

कई बार ऐसे मौके आते हैं हर किसी की लाइफ में, जब उन्हें बुरा बनना पड़ता है। और उसका कारण शायद ऐसा होता है जिसे बता पाना हमेशा मुश्किल होता है। तब वक्त के साथ काफी कुछ धुंधला पड़ जाता है और सवाल वैसे ही रह जाते हैं। उन सवालों को ढूंढने की कोशिश तुम मत करना क्योंकि मेरे हिसाब से ऐसा करना सिर्फ समय बर्बाद करना है। लेकिन यह कभी मत भूलना कि सवाल हर बार confusing नहीं होते।

जानती हो खुशियां हमें मिल जाती हैं, लेकिन वे परमानेंट नहीं होतीं, क्योंकि हमारी लाइफ भी परमानेंट नहीं है। शायद इसी वजह से हम हंसते भी हैं और रोते भी हैं।

कुछ लोग जिनपर आप भरोसा करते हैं, ज्यादा ही भरोसा कर लेते हैं। आप उनके लिए हमेशा तैयार रहते हैं, पर पता नहीं क्यों वे हर बार ढील कर जाते हैं। शायद ऐसा करना उन्हें अच्छा लगता हो। शायद वे यह नहीं जानते कि किसी को यह बुरा लगता है। उन्हें शायद यह भी नहीं मालूम कि जो लोग अच्छे लगते हैं उनपर गुस्सा भी आता है। और मजेदार बात कहूं कि गुस्सा हर किसी पर नहीं किया जाता, उनपर किया जाता है जिनकी हमें फिक्र होती है।

O’ Henry की The Last Leaf को हमेशा पास रखना। दोस्ती की कीमत का पता चलता रहेगा। उससे प्रेरणा लेकर Sue & Jhonsy जैसे दोस्त तुम्हें मिल जायें और हां, ध्यान रखना कि कभी Jhonsy अकेली न रह जाए, क्योंकि Bremen मुश्किल से भी नहीं मिलता। अरे! कौन किसी के लिए अपनी जान जोखिम में डालेगा। दोस्त बनाना जरुर, मगर समझदारी से या फिर एवैं ही रह जाना मेरी तरह, बिना दोस्त की इंसान।

कभी लेखक बनने की कोशिश मत करना, रुखी बन जाओगी मेरी तरह। अक्षरों के साथ ज्यादा समय बिताकर कोई भी रुखा बन सकता है।

सबसे मजेदार बात यह कि अब तुम्हें कोई चिढ़ायेगा नहीं और तुम्हें गुस्सा भी नहीं आयेगा।

ढेरों शुभकामनाओं के साथ।

-Harminder Singh

26 Feb. 2011