भीगी पलकों का गीलापन,
चुभती यादों के कांटे,
मगर चुप हूं मैं, चुप,
-----------------
-----------------
-----------------
गरम बूंदों को भरकर,
आकाश सूना लग रहा,
बेचारा पौधा सूख गया,
-----------------
-----------------
-----------------
सूखी रेत पिघल चुकी,
तिनका-तिनका बह गया,
मगर चुप हूं मैं, चुप।
-Harminder Singh