खेल के सिकुड़ते मैदान


एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले बाॅलीबाॅल खेलने वाले मिल जायेंगे। युवा पूरे जोश में खेलते हैं इस खेल को। हाथों की शक्ति का प्रदर्शन बहुत अहम होता है। फुर्तीलापन भी महत्व रखता है। खेल के फायदे भी कम नहीं। शरीर को चुस्त-दुरुस्त करने का बेहतर तरीका है बाॅलीबाॅल। एक तरह से आपके हर अंग का व्यायाम हो जाता है।

लड़कों में पहले क्रिकेट को लेकर बहुत उत्साह था, अब भी है। समय के साथ मैदान की कमी ने क्रिकेट से दूरी बढ़ा दी। दो पोल, एक नैट और एक गेंद चाहिए। खिलाड़ी तैयार रहते हैं। आसानी से कुछ गज जमीन मिल जायेगी और खेल शुरु।

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पीछे खाली मैदान का इतिहास बहुत रोचक रहा है। वहां लड़कों ने हमेशा उत्साह दिखाया है। वहां क्रिकेट का रोमांच था। फुटबाॅल की मस्ती थी। बाॅलीबाॅल भी जमकर खेली जा रही है। इसे क्रेज कहते हैं। मोहल्ले के लड़के खेल में जमकर रुचि लेते हैं। यही हाल शहर के दूसरे मोहल्लों का भी है। एक मोहल्ले में पहले क्रिकेट का बड़ा मैदान था। आजकल सिकुड़कर छोटा हो गया। ईंटों की ईमारतें बड़ी शान से खड़ी हैं वहां। एक दशक पहले वहां खेत हुआ करते थे। मोहल्ले के लड़कों ने बाॅलीबाॅल शुरु कर दिया। उनका कहना है कि यह खेल जमीन की कमी के कारण खराब नहीं हो सकता।

जानते हैं वे भी कि जहां वे आज खेल रहे हैं कल वहां कोई चाहरदीवारी होगी। तब खेल के लिए जगह ढूंढनी मुश्किल हो जायेगी।

हमारे शहर में मैदान सिमटते जा रहे हैं। जमीन जो पहले कच्ची थी, हरियाली से घिरी थी, पक्की हो गयी, हरियाली खत्म हुई। लेकिन जिन्हें शौक है वे नहीं मानने वाले। एक कोना घिरा है तो क्या हुआ, कहीं दूसरा कोना भी मिल जायेगा। खेल जारी रहेगा। संभावनायें तलाशी जाती रहेंगी।

-हरमिन्दर सिंह चाहल.

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