अनमोल है मां






मुझे नहीं लगता, मां से अधिक फिक्र अपने परिवार की किसी को होती है। वो कहते हैं न-‘मां अनमोल है।’ ईश्वर ने जितनी दया, करुणा, सहनशीलता मां को बख्शी है, संसार में किसी को नहीं।

वह मां ही है जो अपनी संतान को संसार भर की खुशियां एक पल में देना चाहती है। वह मां ही है जिसने कोख में नौ महीने तक हमें रखा। हम जन्म ले सकें, इसलिए असहनीय पीड़ा भी सही। तो कितनी अच्छी है वह।

दादी की उम्र पूरी हो जाने के बाद पिताजी ने कहा था-‘हुन त असी भी बिना मां दे हो गये(अब हम भी बिना मां के हो गये)। वे तब दिखावे को मामूली मुस्कराये, लेकिन भीतर से उनका दिल रो रहा था। मेरे दादा जी जो शायद ही कभी चेहरे पर शिकन लाये हों, उस दिन उनकी आंखों में भी नमी थी। आखिर एक पत्नि सदा के लिए दूर हो गयी थी, फिर लौटकर न आने के बादे के साथ। मगर यह आस लिए कि उसका परिवार हमेशा खुशहाल रहे।

मेरी नानी को गुजरे ज्यादा समय नहीं हुआ। जब वे अंतिम सांसे गिन रही होंगी जो जरुर यही सोच रही होंगी-‘कैसे छोड़ कर जाऊं अपने बच्चों को।’ यानि आखिर तक एक मां अपनी संतान, परिवार के बारे में ही सोचती है। उसे फिक्र है अपनों की अपने से ज्यादा। मेरी मां की आंखें तब छलछला आईं जब नानी ने इस दुनिया से विदाई ली। सच में मन भर आता है अपनों से नाता टूटने पर।

-harminder singh