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बारिश को करीब से देखा मैंने,
बूंदों को इठलाते देखा मैंने,
इतरा रहा था कोई,
बूंदों को समेट कर,
प्यासी धरती को तृप्त होते देखा मैंने,
बारिश को करीब से देखा मैंने।
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बुलबुलों को फुदकते देखा मैंने,
गीली होती हरियाली को देखा मैंने,
फड़फड़ा रहा था कोई,
भीगता हुआ मचल कर,
चोंच से अमृत को भरते देखा मैंने,
बारिश को करीब से देखा मैंने।
-Harminder Singh