Home kavita काली छाया काली छाया Harminder Singh Chahal / Wednesday, December 14, 2011 काला कोटओढ़कर आया कौन?आंचल में रहा समेटआया कौन?खेल का हुआ अंतजीवन जितना जिआ,अट्ठाहस है कैसा?इंसान अंजान बैठाबन रही योजनाएं,धीरे-धीरे बढ़ रहीकाली छाया।-Harminder Singh