pic by vradhgram18 |
आशा की चादर में लिपटा हुआ,
निहार रही वह मुझे
आंखों में नमीं लिए,
कुछ बूंदें टकपा गयी
स्नेह भरी हुईं।
जब मैं रुठा, उसने मनाया,
फिक्र अपनी नहीं, मुझे खिलाया,
करुणा और दया ही मूरत,
भोली कितनी, सुन्दर उसकी सूरत।
हृदय में सिमटा अनंत प्यार,
कितना करती वह मुझे दुलार,
परवाह की, कष्टों को सहा है,
चरणों में उसके, शीष मेरा झुका है।
-Harminder Singh