जीवन के अनुभव भविष्य के लिए


 प्रिय अंजलि....

पता नहीं चल रहा कि किस तरह क्या लिखा जाये। यह कुछ-कुछ संशय में डालता है। खुद को मालूम नहीं होता कि क्या किया जा रहा है, लेकिन हैरानी का ऐसा मौसम है जिसकी हवा से बचना मुश्किल लगता है।

  आज एक कर्मचारी ने विदाई ली। उसकी आंखें खुश थीं और दुख की एक छोटी सी परछाईं की झलक मुझे वहां मिली। हालांकि उसकी उम्र पूरी नहीं हुई थी। उसे यहां से अच्छी नौकरी मिल गयी। वह एक छोटे बच्चे की तरह भी कर रहा था जैसा तुम करती हो।

  जानते हैं हम कि दोनों के पास इतना समय जरुर है कि वे अपने बचपने को याद कर सकें। मेरी मां कहती है कि मेरा बचपना अभी गया नहीं। आफिस में किसी ने कल ही था कि मैं बचपन में जी रहा हूं। मुझे उस समय थोड़ी हैरानी हुई, लेकिन मैंने खुद से हर बार की तरह पूछा कि ऐसा हर किसी की जुबान पर ही होता है, चाहें वह बताये या बता दे।

   पता है अब मैं उतना घबराता नहीं। कारण कई हो सकते हैं। जब आप माहौल को बदलते हैं तो कई चीजें आपके आसपास घूमती हैं। कुछ को आप पकड़ लेते हैं। कुछ से आप बचकर निकल जाते हैं और कुछ आपका हसफर बनने की कोशिश करती हैं।

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  जीवन की कई सच्चाईयों से रुबरु होने का हमें मौका देता है वक्त। दो साल का जो समय तुमने अपने घर और परिवार से अलग बिताया वह कई मायनों में बदलाव लाने के लिए उपयुक्त था। तुमने पहले से स्वयं को नयापन लिए हुआ पाया है आज। जबकि पहले कई बातें जो तुम्हारे लिए मुश्किल थीं, अब उतनी नहीं हैं।

  एक बात जो मुझे सबसे खास लगी कि तुम खुद पर भरोसा करना सीखती जा रही हो। यह उम्र की वजह से नहीं कहा जा सकता। तुमने स्वतः ही तय किया कि अब बहुत हुआ, हालांकि यह प्रक्रिया इतनी धीमी गति से होती है कि हम जान नहीं पाते लेकिन ऐसा हमने कई बार सोचा होता है। यह एक तरह उन परतों की तरह होता है जो समय के साथ एकत्रित होती जाती हैं। उनकी मजबूती का अंदाजा उनकी मोटाई से लगाया जा सकता है।

  एक परेशान मां से शाम को आते हुए मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि उनका बेटा अपनी मर्जी से पढ़ना चाहता है। पैसे का सवाल सामने खड़ा है। मैंने कहा कि पैसे जिंदगी तो बदल सकते नहीं। वे जरुरत के लिए ही बने हैं। अब आपके बेटे को पैसे की जरुरत है अपने भविष्य को संवारने के लिए, सो आप यह मत देखिये कि क्या खर्च हो रहा है और कितना। जिंदगी के सुधरने और बिगड़ने का वक्त यही है जो बाद में लौट कर आना मुमकिन नहीं।

  मैं चाहता हूं कि तुम एक टारगेट बनाओ। जबकि मैं दूसरों से यह बात बड़ी आसानी से कह देता हूं लेकिन खुद कन्नी काट जाता हूं। यह समझने के लिए मुझे तीस पार करना होगा। तब हम लगभग तीन दशक का अनुभव ले चुके होते हैं जो अपने में बहुत मायने रखता है। मेरा करियर किस मोड़ पर जा रहा है अब मुझे एहसास होता जा रहा है। इसमें काफी देर लगी लेकिन चीजें अब समझ आनी शुरु हो गयीं। मतलब साफ है कि खुद से एक चुनौती की तरह पेश आओ। खुद से खुद को समझो और बाजी मार लो।

  तुम्हारे लिए है शायद यह उबाऊ हो सकता है लेकिन मेरे लिए बिल्कुल नहीं। इन्हें उपदेश मत समझना। यह जीवन की सच्चाई है और इसमें अनुभव भी जुड़े हैं।

एक बेहतर कल के लिए ढेरों शुभकामनायें।

तुम्हारा ..
राम.


-Harminder Singh