पल खर्च हो न जायें कहीं…
इस जिंदगी के लिये बिताये पल…
कमजोर होता नहीं कुछ….
कहीं हल्के न पड़ जायें ये पल….
बाहर उतरता हुआ मंजर अजीब है….
सांस से लिपटे हुये गोता लगायें ये पल….
कभी खामोशी की बंदूक की रौनक सही….
उलझे धांगों की बनावट के ये पल….।
-हरमिन्दर सिंह
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