सांप, डर और डाॅक्टर


सांप से बहुत लोगों को घबराहट होती है। यह सच है कि दुनिया में अधिकतर सांप जहरीले नहीं होते, लेकिन उनका डर ऐसा है कि अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। जिंदगी में लगभग हर किसी न सामना कभी न कभी सांप से हो जाता है। किताबों में रंगे-बिरंगे सांप कितने सुन्दर लगते हैं। एक चित्रकार के लिए उसे उकेरना शानदार अनुभव है। फिल्मों या धारावाहिकों में सांप को खौफनाक ही दिखाया जाता है। वहीं डिस्कवरी या एनमिल प्लैनेट सरीखे चैनलों में सांपों की खूबसूरती और डरावनेपन को हम देखते हैं।

मेरा आमना सामना सांप से उस तरह नहीं हुआ। कई बार यह जीव या तो मेरे सामने से गुजरा या कहीं दूर से मैं उसे देख पाया। ऐसा कोई वाकया नहीं हुआ जो उसका और मेरा मुकाबला हुआ हो और मैंने खुद को पसीने में तरबतर पाया हो।

इस साल कोई सांप नजर नहीं आया, वरना हर साल हमारे घर के आंगन में बरसात के समय कोई न कोई सर्प दिख जाता है। वैसे अभी बरसात का मौसम है, वो अलग बात है कि बारिश उतनी पड़ नहीं रही। हां, बादल रोज तन कर यह जताने को आ रहे हैं कि हम कभी भी बरस सकते हैं। वाह रे रामजी!

हमारे पड़ोस में पहले एक व्यक्ति रहा करते थे जो सांप के कांटे का इलाज करते थे। उनके पास एक औषधि थी जिसका लेप लगाकर वह किसी को भी ठीक करने का दावा करते थे। सारे आंकड़े तो मेरे पास नहीं लेकिन इतना जरुर कह सकता हूं कि आजतक उनके पास जो भी आया वह जीवित आया, जीवित ही गया। एक बात यहां बतानी जरुरी है कि सांप की अधिकतर प्रजातियां जहरीली नहीं होतीं। मैंने उन परिजनों का दर्द करीब से देखा है जो अपनों की सलामती की दुआ मनाते थे। आज वह व्यक्ति इस दुनिया में नहीं। कोई वारिस न होने के कारण वह सांप के काटे के इलाज को आगे बढ़ा नहीं सके। किसी ने बताया था कि औषधि का फार्मूला उनके साथ ही समाप्त हो गया। मेरी उनसे कभी मुलाकात न हो सकी। उनका चेहरा भी अब धुंधला पड़ता नजर आ रहा है। वे इलाज में इतने मशगूल रहते थे कि आधी रात में भी यदि कोई घर की कुंडी खड़काता तो वे तुरंत उठ खड़े होते। उन्होंने अपने मुंह से आजतक किसी से एक पैसा नहीं मांगा। जो लोग दे जाते रख लेते। लोग उन्हें ‘दिल से इलाज’ करने वाला डाॅक्टर भी कहते थे। सचमुच ऐसे लोग मुश्किल से मिलते हैं।

-हरमिन्दर सिंह चाहल.

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