बच्चे से आदमी बनने का सफर

मैं उसे शुरुआत कह सकता हूं जिस वजह से मैंने नौकरीपेशा जीवन के अहम पहलुओं को करीब से देखा। ऐसे मौके प्रायः कम होते हैं जब आप नये दौर के लिए तैयार हो रहे होते हैं। मैं उस दिन दुविधा में भी था, और दूसरी तरफ खुश भी, क्योंकि मेरा एक मित्र मनीष भी उसी जगह अपने करियर का प्रारंभ कर रहा था।

पहले दिन मुझे कुछ काम नहीं था। मैं आॅफिस में बोर हो सकता था लेकिन मनीष ने ऐसा होने नहीं दिया। हम उन सहेलियों की तरह उस दिन आॅफिस में बैठे थे जिनके हाथ एक-दूसरे के हाथ में रहते हैं। जबकि अगले दिन हम काम की एबीसीडी सीखने वाले थे।

मैं उत्साहित बहुत था। एक व्यक्ति जो दिखने में हमारी तरह बिल्कुल नहीं था, वह हमें लगभग एक सप्ताह तक गाइड करने वाला था। उसकी निकली हुई तोंद देखकर मनीष अपने मुंह पर हाथ लगाकर एक-दो बार हंसा भी, मगर बाद में जब उसने उसे घूरा तो वह खांसने लगा। मैंने अपने होठों को कसा हुआ था, वरना मैं भी मनीष का साथ निभाता। उस व्यक्ति की आवाज पतली थी कि मुझे अपने एक रिश्तेदार की नौ साल की बेटी की याद आ गयी। उसकी आवाज यहां मेल खाती थी।

शाम को मनीष और मैं इतना हंसे कि वह अपनी कुर्सी से गिरते-गिरते बचा। उसके हाथ में जूस का गिलास था जो उसके कपड़े खराब कर सकता था, लेकिन शुक्र था कि उसने आधे से ज्यादा पी लिया था।

मनीष बाद में गंभीर हो गया था। वह समय से हर काम करने की कोशिश करता जबकि पहले वह देर रात तक जगकर फेसबुक पर चैट करता नहीं थकता था। उसे फिक्र रहती कि सुबह पांच या साढ़े पांच बजे तक उठना है। चूंकि हमारा कमरा एक ही था इसलिए अब मैं उसपर चिल्लाता नहीं था और न ही उसे बांह पकड़कर पूरा जोर लगाकर खींचता था। समय के साथ वह बदलता जा रहा था। वह बच्चे से आदमी और जिम्मेदार आदमी बनने का सफर तय कर रहा था। उसी तरह मैं भी भविष्य के बारे में सोचने लगा था।

एक सप्ताह बाद मुझे यकीन होने लगा था कि नौकरीपेशा जिंदगी हमें हमारे बचपने से निकाल कर बाहर करती है। वह जिम्मेदारियों की परवाह करना सिखाती है। वह हमें बच्चे से आदमी बनना सिखाती हैै।

मैंने उस एक महीने में कुछ अहम बातें सीखीं :
1. किसी भी काम की शुरुआत रोचक और मजेदार या हमारे मुताबिक न हो, लेकिन जितना समय हम खुद को देंगे, और चीजों को समझने में लगायेंगे, वह हमारे आने वाले समय के लिए हमें मजबूत बनायेगा और हम हौंसले के साथ उड़ान भर सकेंगे.

2. कठिन कुछ नहीं होता क्योंकि जब हम बच्चे होते हैं तो सबसे पहले लकीरें बनानी सीखते हैं। वे आड़ी-तिरछी होंगी यह मुमकिन है, लेकिन उन्हें बनाने का आनंद अलग ही होता है। उसी तरह करियर की टेड़ी-मेढ़ी रेखायें हमारी जिंदगी को नया सुर देती है, जिसका संगीत हमें काम से बोर नहीं होने देता.

3. दूसरों से सीखना बहुत जरुरी है। यह हमें बनाता है, और हमें रुबरु कराता है उन मसलों और संभावनाओं से जो हमारी सोच को विकसित करेंगे ताकि उलझन होने पर पुराने तजुर्बे काम आ सकें.

“I’m sharing my first internship experience for the #MyInternTheory activity at BlogAdda in association with Intern Theory.”

-हरमिन्दर सिंह.

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