करीब दो साल पहले "वृद्धग्राम" की शुरुआत हुई थी। वृद्धग्राम की शुरु से ही कोशिश रही है उस दुनिया के एहसासों को करीब से समझने की जिसे हम भुलाने की कोशिश करते हैं। बुढ़ापे को करीब से जानने की हमने कोशिश की और अब वृद्धग्राम नये पते पर उसी कोशिश के साथ जारी रहेगा।
इस बार बूढ़ी काकी तो होगी ही साथ में बूढ़े काका भी आपसे रुबरु होंगे जो आपको उन वृद्धों के बारे में बतायेंगे जिनका जीवन खुलापन लिये हैं। मगर बुढ़ापे का अहसास उन्हें भी है।
बूढ़े कैदी की डायरी के पन्ने फिर से उल्टे जायेंगे। यादों का सिलसिला फिर से शुरु होगा।
बुढ़ापे का एहसास कराती कवितायें और लेख भी होंगे। साथ ही होंगे अपनी कहानी बयान करते उम्रदराज।
और भी ढेर सारी बातें लेकर आ रहा है वृद्धग्राम, जल्द ही आपके साथ होगा।
आशा है इस बार पहले से अच्छा होगा, क्योंकि बुढ़ापा फिर मुस्करा रहा है।
-harminder singh