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अंगुलियों में कसमसाहट है,
चौखट पर यम की आहट है,
कंधों की सिकुड़ती हड्डियां,
टांगों में कहां जान बाकी है,
जद्दोजहद फिर भी जारी,
खुद की खुद से लड़ाई है,
सूखा कंठ, शब्द नहीं उचरते,
आवाज़ भी भर्रायी है,
यह इंसान की छटपटाहट है,
चौखट पर यम की आहट है,
कांप रही देह मेरी,
मुड़ी कमर को लेकर चला,
थकान चारों ओर छायी है,
काली उदासी मंडरायी है,
वीरानी में फड़फड़ाहट है,
चौखट पर यम की आहट है।
-Harminder Singh