पूर्व जनम के मिले संजोगी


‘‘क्या हम इसलिए साथ बैठे हैं कि कुछ बातें जो पिछले जन्म में अधूरी रह गयी थीं, उन्हें पूरा कर सकें?’’
मैंने उत्सुकतावश काकी से पूछा।

बूढ़ी काकी ने मुझे जीवन के अनगिनत पहलुओं पर पहले भी बताया है। उसने कभी खुद को एहसास नहीं होने दिया कि वह बूढ़ी है। यह उसके व्यक्तित्व की सबसे अच्छी खूबी रही।

उसने एक बार कहा था कि शायद पिछले जन्म के कामों को पूरा करने के लिए हमें फिर से जन्म लेना पड़ा। ऐसा तब तक होगा जबतक हम तृप्त नहीं हो जाते। या हम मुक्त नहीं हो जाते।

काकी ने मेरे प्रश्न का उत्तर देने के बजाय इतना कहा,‘‘तुम खुद से क्यों नहीं पूछ लेते?’’

मैं हैरानी से बिना पलक झपके काकी की ओर देखता रहा। फिर बोला,‘‘मैं क्या जानूं जन्म-मरण? उम्र आपकी ज्यादा, अनुभव भी अधिक। और सबसे बड़ी बात जीवन की समझ भला मुझे कैसे हो सकती है? मुझे याद नहीं कि मैं पहले भी जन्म ले चुका। यह कैसे मालूम होगा कि हम अधूरी बातों को पूर्ण करने आये हैं? आपने जब मुझे पहले बताया था तब की उत्सुकता नये प्र’नों को जरुर जन्म दे रही थी।’’

काकी ने हल्की मुस्कान के साथ मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा,‘‘देखो, हम इस जन्म को मृत्यु तक याद रखते हैं। बाद का कोई नहीं जानता। लेकिन मुझे लगता है कि हम कई जन्मों तक प्यासे रहते हैं। उस चीज की तलाश शायद हमें बार-बार जन्म लेने को विवश करती है जिसे पाने की इच्छा एक जन्म में अधूरी रह गयी थी। उन ख्वाबों को हमने कभी देखा था, जिंदगी रुठ गयी, पूरा न कर सके। जन्म लेंगे दोबारा इसी तमन्ना के साथ की सपना पूरा हो, और इस बार जिंदगी रुठे नहीं।’’

‘‘सच में कितना सुकून मिलता है जब हम खुद को पूर्ण-सा पाते हैं। असल में ऐसा न कभी हुआ है और न होगा। इंसान ने पाने की जाने क्या-क्या कोशिश की, पर हासिल क्या किया, यह वह अच्छी तरह जानता है।’’ काकी ने विराम लिया।

वह बोली,‘‘तुम्हारा मेरा साधारण रिश्ता है। शायद पिछले जन्म में हमारा कोई अलग रिश्ता रहा हो। लेकिन मुझे लगता है कि हम बहुत लगाव वाले रहे होंगे, क्योंकि हम एक-दूसरे से काफी लगाव रखते हैं। पूर्व जन्म का योग इस जन्म में हमें साथ लाया। तभी हमारे विचार इधर-उधर टहलने के बजाय एक-जैसे हैं। विचारों की टकराहट का मतलब कैसे बैठ सकता है?’’

‘‘जरुरत शायद थी, इसलिए हमारी मुलाकात हुई। दो अनजाने आज जाने-पहचाने हो गए। कभी ढंग से सोचना। यदि हमारे नसीब में कुछ लिखा न होता तो हम मिलते ही क्यों? इतनी बातें करते ही क्यों? तुम मुझे अपने हृदय का हाल बताते क्यों? कितना भरोसा किया हम दोनों ने एक-दूसरे पर। तभी तो बहुत कुछ बता बैठे यूं ही बातों-बातों में। ऐसा होने के पीछे कारण था। हम जान गए काफी हद तक एक-दूसरे को। आखिर पिछले जन्म के संजोगी मिल ही गए।’

‘‘अब कितना पा लिया हमने एक-दूसरे से यह हम जान गए। कितना पाना बाकी रह गया, यह वक्त पर छोड़ते हैं। तुमने एक मजबूत रिश्ता बना लिया जो शायद ही कभी टूटे। एहसास हो गया मुझे कि अनजाने लोग किस तरह अपनों की तरह लगने लगते हैं। कितना प्रेम करने लगते हैं हम उनसे। ये लोग शायद कभी हमसे जुड़े रहे होंगे, तभी फिर से हमारे साथ हैं- यह संयोग नहीं तो क्या है?’’
काकी इतना कहकर चुप हो गयी।

-Harminder Singh