एक कैदी की डायरी -32

jail diary, kaidi ki diary

सादाब को खोकर ऐसा लगता है जैसे मेरी जिंदगी का एक हिस्सा खो गया है। मैं खुद को अधूरा महसूस कर रहा हूं। मेरी निराशा उसके साथ से काफी कम हो गयी थी। उसके साथ छोड़ देने के बाद पुराने लोक में वापसी का मन न चाहते हुए भी बनाना पड़ रहा है। मैं खुद से संघर्ष कर पहले ही अनेकों बार पराजित हो चुका हूं। इस बार पराजय मुझे अचानक मिल गयी। ऐसा मैंने सोचा नहीं था। फिर से उन्हीं यादों में घुलने की कोशिश करुंगा जो मैंने एक किनारे कर दी थीं। फिर वही दिन की धुंधली रोशनी में मैं जिऊंगा। मैं पहले भी जी ही रहा था। इस बार ज्यादा बड़ा झटका लगा है, क्योंकि सादाब की नजदीकी ने मेरी दुनिया बदल दी थी। मैं जीवन से प्यार करने लगा था। मैं सकारात्मक विचारों की सोच को स्वयं में विकसित कर रहा था। सब भूलना होगा, शायद यह आगे दुविधा में नहीं डालेगा। खैर, इंतजार करना ही होगा। अभी तक मैंने वक्त को नापा ही है। इतना मुझे जरुर पता है कि इंसान का समय जब लंबा हो जाता है, वह यादों के बे-हिसाब बोझ तले दब जाता है। यह उसका तरीका होता है कि वह इससे कैसे बचे। जीवन के आनंदों का रस कुछ समय के लिए मीठा होता है। समय गुजर जाने के बाद उनका स्वाद फीका हो जाता है। जिंदगी की मिठास कहीं पीछे छूट जाती है। हम आराम से खड़े तमाशा नहीं देख सकते क्योंकि एक पल में बहुत कुछ ठहर सकता है। फिर जीवन तो जीवन होता है।

मुझे सादाब को भूलना होगा। उसने मुझसे कहा था कि हमें बीती कड़वी बातों को जहन में नहीं उतारना चाहिए। ऐसा करने से चैन की बात करें तो वह बेमानी होगा। लेकिन एक चीज जो हैरान करती है कि क्या इतनी आसानी से किसी को भुलाया जा सकता है? मेरे विचार में नहीं। हां कहने की गुंजाइश यहां बचती नहीं। जुड़ाव का मतलब ऊपरी तौर पर कुछ भी लगे, मगर वास्तव में यह गहराई लिए है। लोग एक-दूसरे का हाथ इसलिए थामते हैं ताकि बिछुड़ न सकें। यह सीधा मन पर प्रभाव करता है। अक्सर सीधे प्रहार तीव्र होते हैं जो बहुत भीतर तक प्रभाव डालते हैं।

to be contd....
-Harminder Singh