टेंशन स्प्रिंग की तरह है

tesnion is spring













बूढ़ी काकी कहती है,‘हम जानते हैं कि जिंदगी के कई पहलू होते हैं। उनमें उतार-चढ़ाव सबसे अहम हैं। जीवन ऐसे ही चलता है। कभी वह रुकता है। कभी बढ़ता है। यह जिंदगी का दस्तूर है। लोग हम पर गुस्सा करते हैं। लोग हमसे चिढ़ते हैं। लोग हमारी आलोचना करते हैं। लोग हम पर हंसते भी हैं। ये सभी बातें नकारात्मक हैं। लोग हमारी तारीफ भी तो करते हैं। वे हमारी मदद करते हैं। हमारे सुख-दुख में साथ भी देते हैं। ये जीवन के सकारात्मक पहलू हैं।’

‘इसी तरह जीवन में व्यक्ति गिरता है, संभलता है। यह चलता रहता है। यदि ऐसा न हो तो जीवन नीरस हो जायेगा। यह हमारे सबसे स्वादिष्ट व्यंजन की तरह हो सकता है जिसका स्वाद खराब हो जाये। तब हमें कैसा महसूस होगा। बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा। मन कहेगा कि ऐसा क्यों किया। खाना ही नहीं चाहिए था। पल भर में ढेरों प्रश्नों की बाढ़ सी आ जायेगी। उत्तर हम खोजने की सोच भी नहीं पायेंगे। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हमारा दिमाग दूसरी बातों में उलझा रहता है। ये बातें व्यर्थ की हो सकती हैं।’

मैंने काकी से पूछा,‘जिंदगी झंझावातों से घिरी हुई है। फिर ये खिचते भी होगें और सिकुड़ते भी होंगे।’

इसपर काकी ने कहा,‘टेंशन या परेशानी स्प्रिंग की तरह होती है। जब समस्यायें आती हैं तो उनमें खिचाव आने की पूरी संभावना होती है। परेशानियां जब कम नहीं होतीं तब वे बढ़ रही होती हैं। मतलब वे खिच रही होती हैं। ठीक उस स्प्रिंग की तरह जो जोर लगाने के साथ खिंचती जाती है। उसका खिचाव कम भी किया जा सकता है। उसी तरह जीवन में परेशानियां बढ़ती रहती हैं, तो कभी घटती रहती हैं।’

‘समस्याओं को कम करने के लिए हमें स्वयं आगे आना होता है। ऐसा न करने पर हम बोझ तले दब सकते हैं। यह बहुत हानिकारक है। इससे जीवन की सुगंध गायब हो सकती है। मधुरता को ग्रहण लग सकता है। इसलिए समस्या का निदान स्वयं ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए। राय दूसरों की जरुर ली जा सकती है। पर अंत में देखना हमें ही कि इसका असर क्या पड़ेगा। ’ 

मैं सोचने लगा कि जिंदगी में सुख-दुख आते हैं, मगर हम ही होते हैं जो उनसे मुकाबला करने की हिम्मत जुटा पाते हैं। यह वरदान इंसान को मिला है क्योंकि वह कोशिश करने में सक्षम है।

-हरमिन्दर सिंह चाहल.

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