सभी लोग मुझको भुनाने में लगे हैं,
मेरे तजुर्बे को आजमाने में लगे हैं,
जो पीने का इल्जाम लगाते हैं मुझपर,
वही जालिम मुझको पिलाने में लगे हैं,
जिन्हें कदम-कदम पर संभाला था मैंने,
वही लोग मुझको मिटाने में लगे हैं,
जो भरोसेमंद खुद को करते थे साबित,
वही अब भरोसा मिटाने में लगे हैं,
जो फानूस बनकर मदद करते थे यारो,
वही फानूस अब दूरी बनाने में लगे हैं,
ता-उम्र जो अनबन सी करते थे मुझसे,
‘अमर’ वही मेरी मय्यत सजाने में लगे हैं।
-अमर सिंह गजरौलवी
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