हस्ती थी मेरी, अब कहां गई?



इतनी शक्ति थी,
अब कहां गई?

रोशनी थी पूरी,
अब कहां गई?

हस्ती थी मेरी,
अब कहां गई?

उम्मीदों की क्यारी,
अब कहां गई?


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बूंद ओस की गीली थी,
अब कहां गई?

मिट्टी की खुशबू थी,
अब कहां गई?

हरियाली बोला करती थी,
अब कहां गई?

अब राख रही,

बस राख रही।


-हरमिन्दर सिंह द्वारा