स्कूल लाइफ सभी के लिए जिंदगी के सबसे सुन्दर पल होते हैं। वह वक्त ऐसा होता है जब सब कुछ सपने की तरह मीठा होता है, खुशी हो या गम सब हंसते-हंसते बीत जाता है। एक ही स्कूल कंपाउंड में जाने कितनी अलग-अलग जिंदगियां अलग-अलग तरह से यादों का गुलदस्ता सजाती रहती हैं।
कितने स्टूडेंट्स होते हैं एक स्कूल में, हर किसी का टेस्ट अलग, लाइफस्टाइल अलग, जिंदगी जीने का फंडा अलग, पर फिर भी कहीं न कहीं हर किसी की स्माइल एक दूसरे से जुड़ी होती है, हर किसी के आंसू भी जुड़े होते हैं।
जिंदगी का सबसे खूबरसूरत रिश्ता दोस्ती, इसी समय सबसे अहम बन जाता है। मुझे याद है वो सारे ड्रीम्स जो हमने रियलिटी में बदल दिये। छठी क्लास में सारे दिन के स्नैक्स हम एक पीरियड में ही खा जाते थे। हमारी छोटी-छोटी बातों पर स्वीट-स्वीट लड़ाइयां होती थी और सिस्टर जूली हमेशा हमें समझातीं और मिसअंडरस्टैंडिंग्स क्लियर करवातीं।
सातवीं की वो रामायण भी भुलाए नहीं भूलती, जब हमारे रावण की स्टेज पर धोती खुल गयी थी। हमारी सीता मां ने रावण को ऐसा मारा, वो वेचारा उन्हें लिए बिना अकेला ही भाग गया।
क्लास की बैक-बैंचेस पर बैठकर चिल्ला-चिल्लाकर लेटेस्ट गाने गाते थे। स्कूल तो बस बहाना था, रोज दोस्तों से मिलने ही तो जाना था।
‘‘झूमो-रे, नाचो-रे’’ वाला डान्स काम्पटीशन भी शायद ही भूल पाऊं। हमारा डान्स सबसे बेकार था, वट वी आर सो कान्फिडेन्ट -‘हम ही जीतेंगे।’ जिस दिन रिजल्ट्स आए, ‘दिल के अरमां आंसुओं में बह गए।’ पर वो टाइम सबसे सुन्दर था, जो पिरीयड्स हमने बंक किये, उन्होंने हमें एक ‘स्टयूडेन्ट’ होने का अहसास दिलाया।
सचमुच हर पल खास था। क्लास में सबके बीच एक ऐसी अंडरस्टैंडिंग थी कि बिना बताए ही सब एक-दूसरे की प्रोब्लम्स को समझ लेते थे। ‘दि मिसिंग मेल’ वाली स्किट, वो भी अच्छी थी और हम जीते भी थे।
जो भी हो, आगे भी क्लासेज होंगी, स्टयूडेंट लाइफ का एक छोटा-सा पार्ट बचा भी है, पर शायद ही कभी इतने अच्छे दोस्त फिर से मिल पाएं।
स्कूल लाइफ में फ़्रैंडशिप की नई परिभाषा सीखी, अपने दोस्तों को अपना ‘पर्सनल गिटार’ समझकर बजाते रहो, पर कोई और उसे तंग करे तो उसका मुंह तोड़ दो। सच्ची में स्कूल लाइफ राक्स!!
-Shubhangi