बुढ़ापे में शादी


उम्र बहुत जिद्दी है और मन भी। वक्त बीतते पता नहीं चलता। इंसान कब उम्रदराज हो जाता है यह भी नहीं। लोग संघर्ष करते हैं अपने-अपने तरीके से। उनकी तमाम जिंदगी गुजर जाती है इसी तरह। कई बार फल जल्दी भी मिल जाता है तो उम्र मानो बढ़ जाती है। कुछ लोग इसे उम्र थमना भी मानते हैं।

एक बुजुर्ग नेता एनडी तिवारी वैवाहिक बंधन में बंध गये।

समय लगा। संघर्ष भी किया गया। एक तरफ वह महिला थी जो उन्हें अपने पुत्र का पिता कह रही थी। एक तरफ नारायण दत्त तिवारी थे जो इंकार करते जा रहे थे। मामला आदलतों तक पहुंचा। कानूनी लड़ाई लंबी थी, लेकिन सफलता मिली।

आखिरकार 88 साल के एनडी तिवारी को अपना बेटा रोहित मिला और पत्नि भी। अब उन्होंने सात फेरे भी ले लिये।

तिवारी खुश थे। वे इतनी उम्र में एक नये उत्साह के साथ दिखे। उम्र अधिक होने के कारण उन्हें उठने बैठने में दिक्कत होती है, लेकिन विवाह स्थल पर वे गजब के भरोसे के साथ थे।

चेहरे पर झुर्रियां और बासीपन की कहानी अलग होती है। यदि बुढ़ापे को थोड़ी मुस्कान मिल जाये और अपनापन भी, तो वह फिर से जी उठता है। एक हरियाली का एहसास वह करता है। यह फसल सूखने तक जारी रहता है और उम्र थोड़ा सुकून महसूस करती है।

यह भी सही है कि कुछ गलतियां जानबूझकर की जाती हैं जिनका खामियाजा उम्र ढलने के बाद भुगतना पड़ता है। अपने करीब आ जायें जिन्हें पहले नकारा जा चुका था तो प्रायश्चित करने का समय मिल जाता है उन्हें अपनाकर। लेकिन कुछ हिस्सा ऐसा भी होता है जिससे पीछा उम्र आखिरी सांस तक नहीं छुड़ा सकती।

-harminder singh

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