जिंदगी की मायूसी

kaki thought
बूढ़ी काकी कहती है -‘जिंदगी की मायूसी हमें बेचैन कर देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम भावनाओं में बह जाते हैं। यह जुड़ाव इंसानों को आंतरिक तौर पर पिघला देता है। वे पिघलकर स्वयं को मजबूर कर देते हैं। उनमें हालातों से जूझने की क्षमता का ह्रास हो जाता है। यही इंसान की हार है।’

‘दुख और सुख कुछ पल के साथी हैं। वे जिंदगी भर आते रहेंगे। इसलिए मायूस होकर जिंदगी को बोझ समझ बैठना इंसान की कमजोरी कही जायेगी। उसे रुकना नहीं है। वह अपने सफर को जारी रखे। झंझावात उसके साथ लगे हैं। उनसे जूझते हुए ही मुकाम पाया जा सकता है। विजेता बनने की खुशी को महसूस करके देखिये, लेकिन उससे पहले स्वयं को मजबूत करना पड़ेगा। तब हर मुश्किल आसान लगेगी। जीवन जीने का तरीका ही बदल जायेगा। वह होगा जीवन का आनन्द।’

-हरमिन्दर सिंह चाहल.

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