विचारों की परवाह किसे,
वे थमते नहीं,
थकते नहीं,
विचार तो विचार हैं,
जरा रोक कर तो देखो,
वे ठहरेंगे नहीं,
शुद्ध, असाधारण और श्रेष्ठ विचार,
घुलकर मन के बादल में,
इकट्ठे हुए जीवन में,
करते हैं मन को ताजा,
दूर करते हैं हताशा,
गौर करो,
ध्यान दो,
टिक रही बूंदों की खिलखिलाहट को देखो,
उन्होंने थामा है अनगिनत विचारों को,
आज विचार सुस्त हैं,
थकान है उनमें,
खो गये कहीं अनजाने में,
उदासी को डुबो कर निकल गये विचार,
नीले पर्वत को छोड़कर उड़ान तय की,
जर्जर काया ले मैं देख रहा सबकुछ,
अंधों की तरह भी लगता हूं,
मैं भी एक दिन उड़ जाऊंगा,
उन्मुक्त होगा तब जीवन,
न विचार होंगे, न मैं,
होगी न यह काया।
-हरमिन्दर सिंह चाहल.
(फेसबुक और ट्विटर पर वृद्धग्राम से जुड़ें)
हमें मेल करें इस पते : gajrola@gmail.com
पिछली पोस्ट पढ़ें :
उम्र
अक्सर वही माहौल दोबारा दिखाई देता है
परिंदा
लोग
कांच का घर